पहलगाम के शहीद: आदिल हुसैन शाह की बहादुरी को सलाम"
सैयद आदिल हुसैन शाह: पहलगाम का वो हीरो जिसने इंसानियत के लिए जान दे दी
लेखक: ईश्वर भारती | ब्लॉग: Educational Era
22 अप्रैल 2025 – यह तारीख जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में इंसानियत और बहादुरी की एक ऐसी मिसाल बन गई, जिसे भारतवर्ष कभी नहीं भूलेगा। इस दिन, जब आतंकी हमले का खौफ छाया हुआ था, एक आम सा दिखने वाला खच्चर चालक असाधारण वीरता का परिचय देकर अमर हो गया। उसका नाम था – सैयद आदिल हुसैन शाह।
आदिल – एक जिम्मेदार बेटा, एक बहादुर इंसान
आदिल हुसैन, अनंतनाग जिले के हापतनार गांव का रहने वाला एक मेहनती युवक था, जो पहलगाम की वादियों में पर्यटकों को खच्चरों की सवारी कराता था। उसके परिवार में माता-पिता और बहनें थीं, जिनका सारा दारोमदार उसी पर था। हर दिन ₹300-400 कमाकर वह परिवार की जरूरतें पूरी करता था – दवाइयों से लेकर राशन तक।
हमले के वक्त आदिल ने क्या किया?
जब आतंकियों ने बैसरन घाटी के पास हमला किया, वहां अफरा-तफरी मच गई। गोलियों की आवाज से लोग जान बचाकर भागने लगे। लेकिन आदिल ने अपनी जान की परवाह किए बिना पर्यटकों को बचाने की कोशिश की। उसने एक आतंकी से उसकी राइफल छीनने का साहसी प्रयास किया। इसी कोशिश में उसे तीन गोलियां लगीं और वह वीरगति को प्राप्त हुआ।
देश ने कहा – सलाम आदिल!
आदिल की बहादुरी की गूंज पूरे देश में सुनाई दी। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री से लेकर बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा तक ने उसे "भारत का हीरो" बताया। सोशल मीडिया पर लोग उसकी तस्वीरें और किस्से शेयर कर रहे हैं, और कह रहे हैं – "ऐसे बेटों पर देश को गर्व है।"
परिवार का दुख, लेकिन गर्व भी
आदिल के पिता की आंखों में आंसू हैं लेकिन सीना गर्व से चौड़ा है। वे कहते हैं – "मेरा बेटा मरा नहीं, अमर हो गया। उसने इंसानियत की रक्षा की है।" आदिल की मां ने बताया कि वह खुद बीमार थीं, लेकिन आदिल हर दिन उनके लिए दवा लाता था, उनका सहारा था।
हम सब की जिम्मेदारी
आदिल अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसका साहस हमें एक नई राह दिखा गया है। हमें न सिर्फ उसकी कहानी लोगों तक पहुंचानी है, बल्कि सरकार और समाज से यह भी मांग करनी है कि आदिल जैसे सच्चे हीरो को सम्मान मिले – मरणोपरांत वीरता पुरस्कार, परिवार को आर्थिक सहायता, और एक स्मारक जो आने वाली पीढ़ियों को उसका नाम याद दिलाता रहे।
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