जोआना पलानी: एक बहादुर योद्धा की कहानी
दुनिया में बहुत कम लोग होते हैं जो अपने आरामदायक जीवन को छोड़कर दूसरों की आज़ादी के लिए हथियार उठाते हैं। जोआना पलानी ऐसी ही एक प्रेरणादायक शख्सियत हैं, जिन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि साहस और दृढ़ संकल्प किसी सीमा या राष्ट्र की मोहताज नहीं होती।
प्रारंभिक जीवन
जोआना पलानी का जन्म 1993 में इराक के रमादी स्थित एक शरणार्थी शिविर में हुआ था। उनके माता-पिता ईरानी कुर्दिस्तान के करमानशाह क्षेत्र से थे। जोआना का परिवार जल्द ही 1996 में डेनमार्क आकर बस गया। डेनमार्क में एक शांतिपूर्ण जीवन बिताने के बावजूद, जोआना का दिल हमेशा अपने कुर्दी मूल और अपने लोगों के संघर्षों से जुड़ा रहा।
आतंक के खिलाफ युद्ध
2014 में, जोआना ने डेनमार्क में अपनी राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई छोड़ दी और सीरिया तथा इराक में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए निकल पड़ीं। उन्होंने YPJ (Women’s Protection Units) — एक महिला कुर्द सैनिक इकाई — और बाद में पेशमर्गा बलों के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा संभाला।
जोआना ने एक स्नाइपर (निशानेबाज) और सबोट्योर (तोड़फोड़ विशेषज्ञ) के रूप में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयों में हिस्सा लिया, जिसमें कोबानी की घेराबंदी भी शामिल थी। उनका मकसद सिर्फ आतंकवाद को खत्म करना ही नहीं था, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा करना भी था, जिसकी झलक उन्होंने अपने डेनमार्क में बिताए जीवन में देखी थी।
कानूनी विवाद
डेनमार्क लौटने के बाद, जोआना को अपने देश के कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में कानूनी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। डेनमार्क सरकार ने अपने नागरिकों पर विदेश में युद्ध में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया था। जब जोआना फिर से लड़ाई में शामिल होने के लिए कतर (दोहा) के रास्ते यात्रा कर रही थीं, तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जेल की सजा हुई।
यह एक विवादित मुद्दा बन गया — एक तरफ वे ISIS जैसे खतरनाक संगठन के खिलाफ लड़ रही थीं, दूसरी तरफ उन्होंने डेनमार्क के कानून का उल्लंघन किया था। इसने मानवता और कानून के बीच संतुलन पर गहरी बहस छेड़ दी।
जोआना की किताब: फ्रीडम फाइटर
जोआना ने अपनी जिंदगी और युद्ध के अनुभवों को किताब Freedom Fighter: My War Against ISIS on the Frontlines of Syria में साझा किया है। इस किताब में उन्होंने अपने मोर्चे के अनुभव, संघर्ष, और उन कठिनाइयों का जिक्र किया है जिनका सामना उन्होंने युद्धभूमि में किया।
प्रेरणा का स्रोत
जोआना पलानी आज भी बहादुरी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का प्रतीक मानी जाती हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि एक आम लड़की भी असाधारण कार्य कर सकती है, बशर्ते उसमें अपने उद्देश्य के लिए सच्चा समर्पण और दृढ़ निश्चय हो।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें